महाकुंभ 2025 में ‘आईआईटी बाबा’ अभय सिंह की चर्चा: इंजीनियर से वैराग्य तक का सफर
नई दिल्ली: प्रयागराज महाकुंभ 2025 में एक नाम खासा चर्चा में है – ‘आईआईटी बाबा’ अभय सिंह। हरियाणा के हिसार से ताल्लुक रखने वाले अभय सिंह ने आईआईटी मुंबई से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की। लेकिन एक सामान्य करियर की राह पर चलने की बजाय, उन्होंने जीवन के गहरे सवालों के जवाब तलाशने का फैसला किया और अध्यात्म का रास्ता चुना।
कैसे मिला वैराग्य का मार्ग?
अभय सिंह के जीवन में वैराग्य का भाव तब आया, जब उन्होंने अपने परिवार में माता-पिता के झगड़ों को करीब से देखा। आईआईटी में पढ़ाई के दौरान उनके मन में जीवन की सच्चाई और शांति के सवाल उठे। गर्लफ्रेंड और सांसारिक सुखों को त्यागते हुए उन्होंने इस्कॉन ज्वाइन किया और कृष्ण के दर्शन का गहन अध्ययन किया।
महाकुंभ में उपस्थिति
प्रयागराज महाकुंभ में जूना अखाड़े के साथ आए अभय सिंह खुद को किसी भी संप्रदाय से नहीं जोड़ते। वे कहते हैं, “मैं मुक्त हूं और सिर्फ अनुभव लेने और समझने के लिए यहां आया हूं।” उनके अनुसार, जीवन का असली उद्देश्य आत्मज्ञान और शांति प्राप्त करना है।
गुरु का प्रभाव
अभय सिंह के गुरु संत बाबा सोमेश्वर, जो भारतीय वायुसेना में फोटोग्राफर रह चुके हैं, ने उन्हें इस मार्ग पर प्रेरित किया। बाबा सोमेश्वर का कहना है कि अभय एक बुद्धिमान संत हैं, जिन्होंने वैराग्य को अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया है।
अभय का संदेश
‘आईआईटी बाबा’ का मानना है कि सच्चा सुख धन और पद में नहीं, बल्कि आत्मज्ञान और मानसिक शांति में है। उनका जीवन इस बात का उदाहरण है कि बाहरी सफलता के बजाय, आंतरिक शांति और संतुलन ही जीवन का असली उद्देश्य होना चाहिए।
निष्कर्ष
अभय सिंह की कहानी प्रेरणादायक है। उनका सफर यह सिखाता है कि जीवन की असली परीक्षा खुद को समझने और शांति पाने की है। महाकुंभ 2025 में उनकी मौजूदगी इस बात का प्रमाण है कि अध्यात्म और ज्ञान के मार्ग पर चलने के लिए शिक्षा और वैराग्य का संतुलन जरूरी है।